सोमवार, 26 जनवरी 2009

स्‍लमडाग मिलनियेर
स्‍लमडाग मिलनियेर को अर्वाड पर अवार्ड मिल रहे हैं । पर मुझे लगता है कि फि‍ल्‍म भारतीय समाज की उस मानसिकता का दपर्ण है जिसमें स्‍लम में रहने वाला डाग होता है और वो कभी भी मिलिनेयर नहीं हो सकता । वरना एक स्‍लमडाग को पुलिस के पास अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए अपनी जिन्‍दगी का चिट्ठा नहीं खोलना पड़ता ।‍ क्‍या अवार्ड के लिए हमें दुनिया को अपना यही चेहरा दिखाना होगा ?

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